मेला जाबोन

लगे हाबे जगा जगा मड़ई अऊ मेला।
जाबोन हमूमन अऊ देखबो जी ठेला।
मंदिर के दरसन बर लाइन लगाबोन ।
फूल पान बेल पतरी नरियर भेला चढाबोन ।
झूला ल झूलबोन अऊ अब्बड़ मजा पाबोन ।
रंग रंग के मिठाई अऊ पेडा ल खाबोन ।
मुर्रा लाइ अऊ बतासा अब्बड़ बेचाथे ।
नान नान लइका मन कूद कूद के खाथे।
डोकरी दाई ल केरा अऊ अंगूर भाथे।
मड़ई मेला जाबे त उहीच ल मंगाथे।
मांघी पुन्नी के मेला संगी अब्बड़ मजा आथे।
लइका सियान अऊ सबो झन घूमे ल जाथे।

प्रिया देवांगन “प्रियू”
पंडरिया (कवर्धा )
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One Thought to “मेला जाबोन”

  1. बहुत बढ़िया रचना बधाई हो

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